चुनाव आयोग ने बुधवार को अजित पवार और शरद पवार को एक-दूसरे के साथ दस्तावेज साझा करने का आदेश दिया।
बता दें कि जुलाई की शुरुआत में अपने चाचा शरद पवार को झटका देकर महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए अजित पवार ने एएनसीपी और उसके चुनाव चिन्ह पर अपना हक जताते हुए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था. साथ ही शरद पवार की ओर से जन्याति पाटिल ने भी 9 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की अपील की. और दोनों तरफ से दस्तावेज साझा किये गये.
चुनाव आयोग ने बुधवार को दोनों पार्टियों अजित पवार और शरद पवार को एक-दूसरे के साथ दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने का आदेश दिया। शरद पवार ने 1999 में NCP का गठन किया.
जून में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को एसपीसी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. अजित पवार जब पद पर थे तो उन्हें इस पद की उम्मीद थी.
चेयरमैन पद छिनने के कुछ ही दिनों बाद अजित पवार ने अपने चाचा पवार को धोखा दिया और बीजेपी से हाथ मिला लिया और समर्थकों के साथ बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में शामिल हो गए.
महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद अजित पवार ने एनसीपी पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए चुनाव आयोग में अपील दायर की. इसलिए शरद पवार ने चुनाव आयोग से अजित पवार समेत सभी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपील की.