बिहार की गिनती भारत के पिछड़े राज्यों में होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पिछड़े राज्य में भी शादी का चलन बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं कि बिहार के युवा कोर्ट मैरिज को प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं?

आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में बिहार में 1212 जोड़ों ने कोर्ट मैरिज की है. जानकर हैरानी होगी कि इस आंकड़े की तुलना में 2023 के आंकड़ों में बहुत बड़ा अंतर है. इस साल जून तक विवाह पंजीकरण के लिए 566 और विवाह के लिए 717 आवेदन प्राप्त हुए हैं। पिछले वर्ष विवाह पूर्व आवेदनों की संख्या 1439 थी।

सामान्य स्थिति में प्रेम विवाह करने वाले जोड़े ही कोर्ट में शादी करते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से बिहार सरकार द्वारा अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया जा रहा है और अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े को सरकार द्वारा 2 लाख रुपये की सहायता दी जाती है।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए जोड़े को शादी के एक साल के भीतर समाज कल्याण विभाग में आवेदन करना होगा। कोर्ट मैरिज के बढ़ने का एक कारण यह भी है। सामाजिक बंधनों को तोड़कर अंतरजातीय विवाह करने वाले लोग कोर्ट मैरिज का विकल्प चुनते हैं।

बता दें कि, अगर कोर्ट विवाह कानून का पालन नहीं करता है तो शादी रद्द भी की जा सकती है। अगर किसी को शादी पर आपत्ति है तो वह 100 रुपये शुल्क के साथ आपत्ति दर्ज करा सकता है, लेकिन आपत्तिकर्ता को अपने आवेदन को सही ठहराना होगा।

यदि उम्र को लेकर आपत्ति उठाई गई है तो उसका प्रमाण देना होगा। यदि वर्जित रिश्ते अर्थात जिनका विवाह हिंदू धर्म में संभव नहीं है, के संबंध में कोई आपत्ति हो तो उसे भी सिद्ध करना होगा। ऐसी स्थिति में सक्षम साक्ष्य के साथ विवाह रोका जा सकता है।

Rahul Dev

Cricket Jounralist at Newsdesk

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